tag:blogger.com,1999:blog-3591445367963598834.post6830151734032363973..comments2024-01-19T19:39:57.248+05:30Comments on Hindi Thoughts (Suvichar): It is not important that how others see you (Hindi Thought) यह महत्वपूर्ण नहीं है कि दुसरे आपको कैसे देखते हैUnknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3591445367963598834.post-25693137692440369862014-08-28T06:00:05.174+05:302014-08-28T06:00:05.174+05:30
जबभी इस दुनियामें कोइ नया जीवन नया शरीर धारण करक... <br />जबभी इस दुनियामें कोइ नया जीवन नया शरीर धारण करके आता है तो उसका नाम करण करना जरुरी है। फिर वह जीवित(चेतन) हो या निर्जीव(जड)। अब एक नाम लेते है दुनिया जो पृथ्वी नामक ग्रह पर बसी है। यहा हम मनुष्यके ज्ञान प्राप्तीके लिये सारे शब्द और नाम लिखते है भाषा(language) कोई भी हो। अब हम अपने मन बुध्धिको कुछ चिंतन करवाते है जो अपनी अक्क्लपे इतराते है खास उनके लिये है। विज्ञानी और बहोत सारे प्रतिभाशाली(genius) पढे लिखे यह खास उनके लिये प्रश्न है दुनिया और पृथ्वी नामक ग्रह जड है यां जीवित है ? तो ये सभी महारथीओसे कहा जायेगा जाहिर(obviously) है जड है कीसी चेतन शक्तिके आधारसे गुमते दिखाइ पड रहे है यां नजर आ रहे है तो सच्चा जवाब है वह चेतन शक्ति हम सभी खुद है जो अपने जड स्वरुप को जो चला रहे है। जब जन्म होता है कीसीभी शरीर का तो उसका नाम दिया जाता है और उस नामकी पहचान मनुष्य अपने शरीर(जड) द्वारा कीये गये कर्मो, आचरण, मन- बुध्धिमे चलने वाली सोचसे होता है मन बुध्धि वही जो भगवद गीता मे भगवान श्री कृष्णने प्रस्ताव(offer) रखा था अर्जुन रुपी जीवको उन धनुर्विध्या और बहोत सारी गुणवत्ता(quality)ओ को देख कर। अब भगवान तो भगवान है वह फिल्म शोलेमे दिखाये गये एक संवाद(dialog)की तरह तो नहि कह सक्ते ये हाथ मुजे दे दे ठाकुर और जैसे दिखाया गया है उस फिल्ममे उसने ले भी लिये वैसे तो भगवान नहि मांग शक्ते क्योकी हाथ तो मनुष्यकी चेतन शक्तिसे दुर है वह आसानीसे अलग हो सक्ते है पर मन- बुध्धिभी जडही है पर चेतन शक्तिके ज्यादा नजदीक है और उनका स्वरुप जड आँखोसे दिखता नहि है वह मनुष्यको अपने आत्म कल्याणके लिये मनुष्य खुद सामनेसे समर्पित करे अपने चेतन स्वरुप आत्मा-परमात्मा पारब्रह्म को तो मतलबके खुदको ही तो सारे कार्य कारणको समझ के अच्छी सोचसे संभव है। प्रश्न नंबर टु जो ये मनुष्यभी नाम ही है पर इस नाम और सारी जानकारी तबतक जबतक खुद चेतन शक्ति शरीरमे काम कर रही हो, एक बार शरीर गिर गया तो नाम ही रह जाता है सरीरकोतो जला यां दफना दिया जाता है या यु ही विसर्जन हो जाता है इस पृथ्वी पर तो प्रश्न ये है के हम को जो नाम दिया गया है ये शरीर के आधारपे वह हम है के फिर चेतन शक्तिके आधारपे हमे ज्ञान हो ता है वह हम है ? फिरसे जवाबमें ज्ञानी जनो और प्रतिभाशाली(genius) व्यक्तिओ का कहना होगा चेतन स्वरुप जीसके आधार पे ज्ञानकी प्राप्ती होती है। तो अब एकही प्रश्न है पापी जन तो वह है जो अपने चेतन स्वरुप को छोडके, भुलके कारण जाने बिना ही मोह वश कार्य करते है। हरेक मनुष्यका यह जन्मसिध्ध अधिकार होना चहिए के वह पहले पहल अपने चेतन स्वरुप को पा ले हाशिल करके उस ज्ञानमेही रहे शरीर छुटने तक या यु कहे खुद शरीर छोडने तक क्युके आत्मज्ञानी खुदही अपने देहको छोडता है याँ त्याग करता है। जै गुरुदेव जै गुरुर देव जै गुरुदेव, जै हो गुरुर देव !! ... !! आत्मा मे ही नमन आत्मनमनः।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02057588181456382402noreply@blogger.com